अंबेडकरनगर!
स्थानीय मीडिया द्वारा जिला कारागार की जेल अधीक्षक को ,
एक सकारात्मक लोकप्रेमी जननायिका,
और जेल में बंद कैदियों के जीवन में खुशियां भरने वाली…
परियों की रानी जैसी तमाम कहानियां चाटुकारिता वश गढ़ी जाती रही ।
मैम के प्रशासनिक पैरों तले बिछकर….
लोकल मीडिया इनका यशोगान तब तक प्रस्तुत करता रहा,
जब तक मैडम के माथे पर एक कैदी की मौत का कलंकित दाग नहीं लग गया।
मैडम के ड्राई फ्रूट्स और उम्दा खानपान का आनंद लेते रहे कलम कारों की ग़ुलाम कलमों ने,
उन्हें अंबेडकर नगर जिला जेल के लिए एक वरदान स्वरूप अवतरित हुई ….
अद्भुत , दिलेर और सुलझी हुई जेल अधीक्षक के रूप में प्रस्तुत किया ।
जबकि हिंदुस्तान की दर बदनाम जेलो में,
अंबेडकर नगर जेल का नाम बहुत आसानी से ‘टॉप टेन’ में जोड़ा जा सकता है ।
जहां हर चार छह माह के लगभग जेल का माहौल अक्सर गर्म हो जाता है,
कैदियों का आपसी महासंग्राम,
जेल के अंदर तोड़फोड़ ….
जेल के अंदर ‘कैदी पुलिस भिड़ंत,
फिर बाहर से मददगार पुलिस बुलाकर उनकी बेबाक पिटाई और….
मानवाधिकार के मुंह पर कालिख पोतने का काम….
जेल निर्माण के बाद से होता रहा है।
आजाद भारत का नज़ारा इस मनहूस ग़ुलाम जेल में आकर,
महसूस ही नहीं किया जा सका।
तमाम औचक निरीक्षण ऐसी गंभीर घटनाओं को देखते हुए ,
सवालों के दायरे में आने से नहीं बच सकते।
कैदियों के साथ जेल प्रशासन खुद शातिर अपराधियों जैसा व्यवहार ….
करने का जैसे लाइसेंस हासिल कर लिया है!
जेल अधीक्षक हर्षिता मिश्रा की मनभावन कहानियां ….
जो उनके चहेते पत्रकारों द्वारा परोसी जा रही थी ,
उसकी सत्यता अब जांच के दायरे में आ चुकी है।
पोस्टमार्टम के बाद…….
थाना बेवाना अंतर्गत ग्राम ससपना निवासी दलित कैदी राम सिंगार की मौत का जवाबदार ….
जेल प्रशासन अंबेडकर नगर को मानकर ,
एफ. आई. आर. का दर्ज होना ,
मृतक कैदी को न्याय मिल पाने की एक कड़ी मात्र है ।
बड़े साहब जैसे पद और गरिमा को मिट्टी में मिलाने वाले,
गंदे आचरण युक्त भ्रष्ट लोकसेवक ,
अपराधियों जैसा व्यवहार करने वाले बड़े साहब सहित संबंधित लोगों को….
अपराध सिद्ध होने पर ,
‘तब तक फांसी पर लटकाया जाना, आम आदमी को जायज़ लग रहा है….
जब तक उनकी लाश खुद सड़ सड़ कर, धीरे-धीरे ज़मीन पर चू चू कर ना गिरे!
ताकि ….
पद और गरिमा के नशे में चूर ,
बदमिजाज और मनबढ़ अधिकारी कर्मचारी ,
अपने गुनाहगार साथी से सबक ले सकें …..
फिलहाल संपूर्ण प्रकरण ….
एक निष्पक्ष और साफ-सुथरी जांच की मांग महसूस करता है कि ,
अंदर का सच क्या है?
जिला प्रशासन या कोतवाली की जांच से अलग हटकर…..
इस गंभीर और जघन्य प्रकरण की यदि सी.आई डी जांच हो:
तो बदनाम जेल के पुराने किस्से की भी नई परतें खुल कर सामने आ सकती हैं।
लोकहित और सुशासन के लिए कानून व्यवस्था के साथ…
मज़ाक करने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए ।
रिपोर्ट :-
dr. मेला