बल्दीराय/सुल्तानपुर
कोर्ट के कड़ी फ़टकार व आदेश के बाद ग्रामसभा रैंचा में ,तहसील प्रशासन कार्यवाही करते हुए कई मकानों पर बुलडोजर चलवाकर ,मामले की इतिश्री कर ली । और दो राजस्व कर्मियों पर फौरी कार्यवाई भी करी । किंतु यहाँ सवाल तो यह है , कि जब इन सरकारी जमीनों पर , लोग अवैध कब्जा कर रहे थे , तब इनके रखवाले लेखपाल व कानूनगो आदि जिम्मेदारों को इसकी भनक क्यों नही लगी ?..।क्या रातोरात बड़े -बड़े मकान खड़े हो गए ?..।
सरकारी आरक्षित जमीनों पर , लगातार किये जा रहे कब्जों ने ,राजस्व प्रशासन के कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा किया है जिसे तहसील प्रशासन की संलिप्तता कही जाय अथवा निष्क्रियता ?…
तहसील के ग्राम सभाओं में तालाबों के रकबों पर , लगातार लोगों द्वारा अवैध कब्जा किया जा रहा है ।जिससे प्राकृतिक जलस्रोतों के रकबे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ते जा रहे हैं । ऐसा नही है कि तालाबी नम्बरों पर किये जा रहे अवैध कब्जों से तहसील प्रशासन अनजान है । राजस्व कर्मियों की संलिप्तता , जहां माननीय उच्चतम व उच्च न्यायालय के आदेशों की धज्जियां उड़ाईं तो वहीं उ०प्र०शासन की आंखों में भी धूल झोंकने का कार्य कर रही है ।जिसके चलते भविष्य , बड़े जलसंकट की ओर अग्रसर होता जा रहा है ।
*तालाबों को अतिक्रमणमुक्त कराने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने ,हिचलाल तिवारी , जगपाल व अन्य की याचिका में देश के सभी झील ,तालाब ,व झरनों को अतिक्रमण मुक्त कराने का आदेश दिया था । कोर्ट ने जिला प्रशासन को, सभी तहसीलों की , मानीटरिंग कमेटी के अन्तर्गत , सम्बधित अधिकारियों से तालाबों की सूची तैयार कर , अवैध कब्जेदारों से मुक्त करवाते हुए ,बहाली को कहा था ।
किंतु संलिप्तता के चलते , प्राकृतिक जलश्रोतों पर किए गए अवैध कब्जेदारों पर , जिम्मेदार कार्यवाही के बजाय , मेहरबान हैं । फलतः माननीय उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालय तथा शासन के आदेश , तहसील के जिम्मेदारों के लिए कोई मायने नही रखते है ।