‘बैठक न सफल रही और न ही असफल’
उन्होंने चंडीगढ़ के पंजाब भवन में बैठक के बाद पत्रकारों से कहा, ”हम यह नहीं कह सकते हैं कि बैठक नाकाम रही है और न ही यह सकते हैं कि यह सफल रही है. यह बेनतीजा रही है.” वार्ता करने वाले मंत्री समूह में सुखजिंदर सिंह रंधावा, सुखबिंदर सिंह सरकारिया और तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा शामिल हैं. किसान संघ के नेताओं की अगुवाई उग्राहन ने की.
किसानों के चल रहे आंदोलन पर उग्राहन ने कहा कि किसान यह देखेंगे कि राज्य सरकार केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ क्या कदम उठाती है और तब तक यह आंदोलन चलता रहेगा.उठाया गया पराली जलाने का मुद्दा
उन्होंने बताया, ”हमने पराली जलाने का मुद्दा भी उठाया, क्योंकि किसानों को दंडित किया जा रहा है जबकि उनके पास समस्या का व्यवहारिक समाधान नहीं है. हमने सरकार को उन विभिन्न वादों की भी याद दिलाई, जो उन्होंने चुनाव से पहले किसानों से किए थे.”
उग्राहन ने कहा कि उन्हें कई मुद्दों पर कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला. उधर, केंद्र के कृषि अधिनियमों के खिलाफ कानून बनाने के लिए राज्य विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया है.
इस बीच, पंजाब भवन के अंदर मंत्री समूह और किसानों के बीच वार्ता के मध्य भवन के दरवाजे पर नाटकीय घटनाक्रम हुआ, जब शिअद के सदस्यों को परिसर में प्रवेश करने से रोक दिया गया. वे मीडिया को संबोधित करना चाहते थे.
इनमें पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया, मनप्रीत सिंह अयाली, पवन कुमार टिन्कू और के के शर्मा शामिल हैं. वे विधानसभा की कार्यवाही स्थगित होने के बाद मीडिया से बातचीत करने के लिए वहां पहुंचे थे.
अकाली नेताओं का विरोध
शिअद नेताओं ने पंजाब भवन में प्रवेश करने से उन्हें रोके जाने पर कड़ा ऐतराज जताया. गौरतलब है कि कोरोना वायरस की स्थिति की वजह से मीडिया को विधानसभा में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई है. विधानसभा अध्यक्ष ने विधानसभा परिसर का विस्तार पंजाब भवन तक कर दिया है.