मुंबई. पूरे देश में इस समय कोरोना संक्रमण (Coronavirus) का कहर बरप रहा है. महाराष्ट्र (Maharashtra) इस समय देश में कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित दूसरा राज्य है. मुंबई (Mumbai) शहर भी कुछ दिनों पहले कोरोना वायरस संक्रमण (Covid 19) से काफी प्रभावित था. अब मुंबई के साथ ही महाराष्ट्र में कोरोना नए मामलों में कमी आ रही है. इस बीच मंगलवार को केंद्र सरकार ने मुंबई में दूसरी लहर के दौरान कोरोना रोकने के लिए अपनाए गए मॉडल को लेकर महाराष्ट्र सरकार और बीएमसी की प्रशंसा की. कुछ दिनों पहले
महाराष्ट्र में कोरोना के अधिक मामले सामने आ रहे थे. लेकिन अब प्रबंधन के सटीक इस्तेमाल से मुंबई में इन दिनों कोरोना का ग्राफ कुछ कम हुआ है. इसके पीछे कड़े प्रतिबंधों को भी मददगार बताया गया है. मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने मुंबई में कोरोना के केस विश्लेषण और शहर में कोविड 19 की स्थिति में तत्काल सुधार के कैसे हुआ, इस पर बातचीत भी की. स्वास्थ्य मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी लव अग्रवाल ने ने मुंबई की कोरोना केस हिस्ट्री के विश्लेषण पर बताया कि प्रभावी नागरिक संपर्क और प्रक्रियाओं का विकेंद्रीकरण कोरोना महामारी पर नियंत्रण पाने का मुख्य आधार है.
तीन प्रभावी कदम उठाए गएकोरोना महामारी को नियंत्रण करने के लिए मुंबई में तीन आधारभूत प्रक्रिया अपनाई गईं. इनमें से पहली थी कि विकेंद्रीकृत संपर्क दृष्टिकोण को बनाने के लिए सेंट्रल वॉर रूम को खत्म कर दिया गया था. जांच के नतीजे प्रशासन के साथ साझा किए गए ताकि वहां से नागरिकों को तक इसे पहुंचाया जाए.
24 वार्ड में वॉर रूम की स्थापना दूसरी प्रकिया या कदम था कि सभी 24 वार्डों में वॉर रूम की स्थापना की गई. वहीं बीएमसी ने 55 लैब से प्रतिदिन 10,000 के करीब टेस्ट रिजल्ट प्राप्त करने और उन्हें वार्डों के आधार पर छांटने के लिए एक हब के रूप में काम किया. ये जांच के नतीजे तब वॉर रूम के साथ साझा किए गए थे. इसके चलते प्रत्येक वार रूम पर कोरोना के केसलोड की कमी हो गई.
मेडिकल स्तर पर बढ़ाए कदम इसमें तीसरा कदम था कि डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को नियंत्रण कक्षों में काम करने के लिए आमंत्रित किया गया और उन्हें इसके लिए स्टाइपेंड व होटल में रुकने की प्रस्ताव दिया गया. वहीं करीब 800 एसयूवी को ठीक करके उन्हें अस्थाई एंबुलेंस में बदला गया.
उबर के साथ मिलकर एक सॉफ्टवेयर बनाया गया ताकि इन एंबुलेंस पर नजर रखी जा सके. इसके साथ ही 172 अस्पतालों और कोविड निपटने के लिए मौजूद स्थानों की एक केंद्रीयकृत सूची बनाई गई ताकि वहां के उपलब्घ संसाधनों की ट्रैकिंग संभव हो सके. बेड को लेकर व्यवस्था बनाई गई.