सुल्तानपुर । जनपद में जब भी कभी मुख्यमंत्री जी या मुख्य सचिव के शासनादेश जारी होता है तो उसकी गाज सबसे पहले स्कीमों ,योजनाओ के संविदाकर्मियों पर गिरॉकर खबर छपवाकर सरकार को बताया जाता है कि जिले के अधिकारी बहुत एक्टिव है अभी बीते दिनों यही कुछ दिखा जिले के DPRO ने एक साथ 80 सामुदायिक शौचालयओ के केयर टेंकरो की संविदा पर तलवार लटका दी ,उसी के विपरीत कभी किसी छोटे कर्मी से ये नही पूछा जाता कि उसे समय पर मानदेय मिला कि नही उसे कोई परेशानी तो नहीं है शायद अब ये सब ड्यूटी का अंग नही है ,रोजगार सेवक ,पंचायत ऑपरेटर ,आगनवाड़ी ,आशा ,रसोइया, चौकीदार ये सब सरकार की मंशा को चन्द मानदेय में ही पूरी करने में लगे रहते है यहां तक कि ये ही उन AC व नीली बत्ती वालो का सरकार में परफार्मेंस भी बढाते है मगर सबसे ज्यादा शोषण इन्ही का हो रहा है । जिले के तमाम विभाग ऐसे है जिन् के कार्यालय आज तक न तो dm v cdo कभी भी गए हो , उनके बारे में आम जनता भी बमुश्किल जानती होगी ,विद्युत सुरछा कार्यालय ,नारकोटिक्स विभाग,अस्थाई कार्यालय ,कांटा बाँट माप विभाग ,खाद्य एवं विपडन ,महिला कल्याण ,फूड एंड ड्रग ,मार्केटिंग इंस्पेक्टर का कार्यालय,बाल विकास सिटी परियोजना कार्यालय आदि तमाम विभाग ऐसे है जहाँ नियमित कर्मचारी है अधिकारी है जो भारी भरकम वेतन उठाते है और मनमानी नौकरी कर रहे है वो कभी भी कार्यालयों पर जनता से मिलने के समय पर नही मिलते मुख्यमंत्री जी का निर्देश को भी समाचार की तरह सुनते है हो भी क्यो न उन्हें जिले में बोलेगा ही कौन ,खाशकर शनिवार को तो परमानेंट हाफ डे है मन है तो मुख्यालय आएंगे ही नही ।