◼️घायल बुजुर्ग को कराहता देख पुलिस ने निभाया अपना धर्म
(सुल्तानपुर/योगेश यादव) एक तरफ मन्दिर- मस्जिद, सेना में चार वर्ष की भर्ती जैसे मुद्दे पर पुलिस कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए जूझ रही है तो वहीं सड़क पर दर्द से करार रहे घायलों को अस्पताल भी पहुँचाने की चुनौती को बखूबी अंजाम दे रही है।आम नागरिक भी अब सरकारी वाहन की राह ताकने के आदि हो चुके हैं।अपवादों को छोड़ दिया जाए तो घायलों को अस्पताल पहुँचाने के लिए अब कोई तैयार नही होता। मानवीय मूल्यों में लगातार गिरावट जारी है।आज नागरिक पुलिस ने गंजेहंडी गांव के दर्द से कराह रहे घायल बुजुर्ग शिव प्रसाद को ब्लॉक स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुँचाया।
इस मौके पर कमांडर हेड कांस्टेबल नीरज कुमार पटेल ,सब कमांडर कांस्टेबल राजेंद्र गुप्ता,होमगार्ड चालक राम शरदार पाण्डेयआदि ड्यूटी को अंजाम देते रहे।(घटना स्थल ब्लाक मोड़ कुड़वार)
इस तस्वीर ने इस सच को और मजबूत किया है कि आज अधिकांश नागरिक अपने हक़ और अधिकार के लिए किसी भी हद तक जाते हैं लेकिन जहां इंसानियत और कर्तव्य निभाने की बात आती है तो तो संकट के समय उनकी पीठ नजर आती है।यह बात उन्हें (राहगीरों को) भली भांति पता है कि आज बेशक घायल उनका नाते रिश्तेदार नही लेकिन कल को उनके परिवार का भी कोई सदस्य इस अवस्था मे हो तो यही बर्ताव उनके साथ भी हो जो आज सड़क पर कराह रहे बुजुर्ग घायल के साथ हुआ था।फिलहाल पुलिस के इस कार्य को परिजनों और क्षेत्रवासियों ने सराहा है।यह वही पुलिस है जिसने फायर ब्रिगेड का इंतजार किये बिना हरि टहनियों से (कुड़वार थानक्षेत्र) गेहूं के खेत में उतरकर आग को बुझाने का साहसिक कार्य कर मित्र पुलिस का धर्म निभाया था।यह कोई पहला मौका नही बल्कि हर रोज- हर थानक्षेत्र में वर्दीधारी तमाम आलोचनाओं के बीच “प्रतिदिन भलाई का एक काम” कर जाते हैं जो “मित्र पुलिस” के चेहरे को परिभाषित करते हैं।