शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के एक सदस्य ने अमर उजाला से कहा कि मेरा व्यक्तिगत तौर पर मानना है कि सीएम ठाकरे ने जो योजना बनाई थी। उसके मुताबिक उन्हें तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए था। इससे न केवल उनकी अच्छी विदाई होती, बल्कि लोगों की तरफ से बेहतर प्रतिक्रिया भी मिलती। साथ ही चुनावों में इसका पार्टी को भी फायदा मिलता…

उद्धव ठाकरे-शरद पवार
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महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक संकट अब विधानसभा में फ्लोर टेस्ट तक पहुंच गया है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार रात राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी को सरकार के अल्पमत में आने की चिट्ठी सौंपी। राज्यपाल के फ्लोर टेस्ट के आदेश के खिलाफ शिवसेना ने भी सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। इसी बीच शिवसेना को अब इस बात का मलाल हो रहा है कि उन्होंने एनसीपी प्रमुख शरद पवार की बात आखिर क्यों मानी। क्योंकि ठाकरे ने विवाद के बाद पद पर बने रहकर हालात को और बिगाड़ दिया है।
पार्टी को चुनावों में मिलता फायदा
शिवसेना से जुड़े विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि 20 जून को बगावत की खबर मिलने के बाद ही सीएम उद्धव ठाकरे ने अपने आधिकारिक आवास वर्षा में देर रात एक बैठक बुलाई थी। अगले दिन भी एक बैठक बुलाई थी। इसमें सभी सदस्यों को उपस्थित होने के लिए कहा गया था। लेकिन दोनों ही बैठकों में कम लोगों के उपस्थिति रहने के बाद सीएम ठाकरे को लगने लगा था कि अब मामला उनके हाथ से निकल गया है। तभी उद्धव ने अपने पद से इस्तीफा देने का मन बना लिया था। इसी के चलते उन्होंने वर्षा से सामान हटाया और अपने बेटों आदित्य-तेजस, पत्नी रश्मि के साथ मातोश्री पहुंच गए। वे फेसबुक लाइव के बाद पद छोड़ने का एलान करना चाहते थे। लेकिन शरद पवार से बातचीत के बाद उन्होंने ऐसा नहीं किया। क्योंकि पवार ने उन्हें रुकने और जल्दबाजी में कोई भी फैसला नहीं लेने और इस लड़ाई का सामना करने के लिए कहा था।