
पीके सिन्हा चार साल से कैबिनेट सचिव की पद पर थे. (तस्वीर-मनी कंट्रोल)
भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1977 बैच के अधिकारी रहे सिन्हा (P.K. Sinha) को सितंबर 2019 में प्रधानमंत्री के प्रधान सलाहकार के पद पर नियुक्त किया गया था. इससे पहले उन्हें कुछ समय के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (ओएसडी) नियुक्त किया गया था.
सिन्हा ने इस्तीफे के पीछे व्यक्तिगत कारणों का हवाला दिया है. इससे पहले यूपीए सरकार के दौरान सिन्हा तीन अलग-अलग मंत्रालयों में सचिव का दायित्व निभा चुके हैं. जब 2014 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री तब उन्होंने सिन्हा को ऊर्जा सचिव बनाया था.
जून 2015 में सिन्हा को कैबिनेट सचिव बनाया गया था
सिन्हा के ऊर्जा सचिव रहते मोदी सरकार के पहले वर्ष में भारत ने 22566 मेगावाट कैपेसिटी का लक्ष्य हासिल किया था जो अभी तक एक रिकॉर्ड है. जून 2015 में सिन्हा को कैबिनेट सचिव बनाया गया. 2019 में जब उनका कार्यकाल समाप्त होने वाला था तो उन्हें तीसरा एक्सटेंशन दिया गया. इसके बाद वो सबसे लंबे समय तक कैबिनेट सचिव रहने वाले अधिकारी बन गए. इसके बाद सितंबर 2019 में उन्होंने रिटायर हो रहे नृपेंद्र मिश्रा को रिप्लेस किया.नृपेंद्र मिश्रा के बाद बने थे प्रधान सलाहकार
नृपेंद्र मिश्र के बाद सिन्हा ही पीएमओ में सबसे सीनियर ब्यूरोक्रेट थे. दोनों ही अधिकारियों को प्रधानमंत्री कार्यालय में सबसे भरोसेमंद माना जाता रहा है.