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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मां विंध्यवासिनी के किए दर्शन।
– फोटो : अमर उजाला
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को मां विंध्यवासिनी का विधिवत दर्शन पूजन किया। उनके साथ देश की प्रथम महिला, उनकी धर्मपत्नी सविता भी मौजूद रहीं। निर्धारित समय से लगभग एक घंटा विलंब से पहुंचे राष्ट्रपति का अष्टभुजा स्थित हेलीपैड पर सीएम योगी आदित्यनाथ, सांसद अनुप्रिया पटेल व सभी पांचों विधायक सहित मंडलायुक्त योगेश्वर राम मिश्र, जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने स्वागत किया।
स्वागत के बाद राष्ट्रपति अष्टभुजा स्थित राजकीय अतिथि गृह पहुंचे। वहां पर उन्होंने थोड़ा विश्राम किया और हल्का भोजन किया। इसके बाद वे मां विंध्यवासिनी के दर्शन के लिए रवाना हो गए। मां विंध्यवासिनी दरबार में उनका जोरदार स्वागत हुआ। इस दौरान राष्ट्रपति ने विंध्य कॉरिडोर के कार्य को देखा।
स्वयं मुख्यमंत्री कार्य योजना समझाते नजर आए। विधिवत दर्शन के बाद वह हेलीकॉप्टर से वाराणसी के लिए रवाना हो गए। प्रस्थान के समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिला प्रशासन की ओर से उपलब्ध कराई भगवान श्रीराम की प्रतिमा राष्ट्रपति को प्रदेश की ओर से स्मृति चिह्न के रूप में भेंट की। दो घंटे 45 मिनट मिर्जापुर में राष्ट्रपति रहे।
सेवा कुंज आश्रम में वनवासी समागम को किया संबोधित
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोनभद्र के बभनी स्थित सेवा कुंज आश्रम में विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। यहां उन्होंने 250 छात्रों के लिए बने अंत्योदय छात्र कुल, बिरसा मुंडा बनवासी विद्यापीठ का लोकार्पण किया। साथ ही छात्रावास के लिए भूमि पूजन भी किया। उन्होंने सेवा कुंज आश्रम में संबोधित करते हुए कहा कि आज मुझे भगवान बिरसा मुंडा जी का स्मरण हो रहा है। उन्होंने अंग्रेजों के शोषण से वन संपदा और वनवासी समुदाय की संस्कृति की रक्षा के लिए अनवरत युद्ध किया और शहीद हुए।
राष्ट्रपति ने कहा कि बिरसा मुंडा का जीवन केवल जनजातीय समुदायों के लिए ही नहीं बल्कि सभी देशवासियों के लिए प्रेरणा और आदर्श का स्रोत रहा है। मुझे इस बात का संतोष है कि मेरी सांसद निधि की राशि का उपयोग आपके संस्थान व आश्रम के शिक्षा संबंधी प्रकल्प में हुआ है। किसी भी धनराशि का इससे बेहतर उपयोग नहीं हो सकता है। मैं आभारी हूं कि आप सबने मुझे योगदान करने का अवसर दिया और कल्याणकारी प्रकल्पों से जोड़े रखा।
उन्होंने कहा कि वनवासी समुदाय के विकास के बिना देश के समग्र विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है। सही मायनों में, आप सबके विकास के बिना देश का विकास अधूरा है। देश भर के हमारे आदिवासी बेटे-बेटियां खेल-कूद, कला, और टेक्नॉलॉजी सहित अनेक क्षेत्रों में अपने परिश्रम और प्रतिभा के बल पर देश का गौरव बढ़ा रहे हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को मां विंध्यवासिनी का विधिवत दर्शन पूजन किया। उनके साथ देश की प्रथम महिला, उनकी धर्मपत्नी सविता भी मौजूद रहीं। निर्धारित समय से लगभग एक घंटा विलंब से पहुंचे राष्ट्रपति का अष्टभुजा स्थित हेलीपैड पर सीएम योगी आदित्यनाथ, सांसद अनुप्रिया पटेल व सभी पांचों विधायक सहित मंडलायुक्त योगेश्वर राम मिश्र, जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने स्वागत किया।
स्वागत के बाद राष्ट्रपति अष्टभुजा स्थित राजकीय अतिथि गृह पहुंचे। वहां पर उन्होंने थोड़ा विश्राम किया और हल्का भोजन किया। इसके बाद वे मां विंध्यवासिनी के दर्शन के लिए रवाना हो गए। मां विंध्यवासिनी दरबार में उनका जोरदार स्वागत हुआ। इस दौरान राष्ट्रपति ने विंध्य कॉरिडोर के कार्य को देखा।
स्वयं मुख्यमंत्री कार्य योजना समझाते नजर आए। विधिवत दर्शन के बाद वह हेलीकॉप्टर से वाराणसी के लिए रवाना हो गए। प्रस्थान के समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिला प्रशासन की ओर से उपलब्ध कराई भगवान श्रीराम की प्रतिमा राष्ट्रपति को प्रदेश की ओर से स्मृति चिह्न के रूप में भेंट की। दो घंटे 45 मिनट मिर्जापुर में राष्ट्रपति रहे।
सेवा कुंज आश्रम में वनवासी समागम को किया संबोधित
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को मूर्ति की गई भेंट।
– फोटो : अमर उजाला
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोनभद्र के बभनी स्थित सेवा कुंज आश्रम में विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। यहां उन्होंने 250 छात्रों के लिए बने अंत्योदय छात्र कुल, बिरसा मुंडा बनवासी विद्यापीठ का लोकार्पण किया। साथ ही छात्रावास के लिए भूमि पूजन भी किया। उन्होंने सेवा कुंज आश्रम में संबोधित करते हुए कहा कि आज मुझे भगवान बिरसा मुंडा जी का स्मरण हो रहा है। उन्होंने अंग्रेजों के शोषण से वन संपदा और वनवासी समुदाय की संस्कृति की रक्षा के लिए अनवरत युद्ध किया और शहीद हुए।
राष्ट्रपति ने कहा कि बिरसा मुंडा का जीवन केवल जनजातीय समुदायों के लिए ही नहीं बल्कि सभी देशवासियों के लिए प्रेरणा और आदर्श का स्रोत रहा है। मुझे इस बात का संतोष है कि मेरी सांसद निधि की राशि का उपयोग आपके संस्थान व आश्रम के शिक्षा संबंधी प्रकल्प में हुआ है। किसी भी धनराशि का इससे बेहतर उपयोग नहीं हो सकता है। मैं आभारी हूं कि आप सबने मुझे योगदान करने का अवसर दिया और कल्याणकारी प्रकल्पों से जोड़े रखा।
उन्होंने कहा कि वनवासी समुदाय के विकास के बिना देश के समग्र विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है। सही मायनों में, आप सबके विकास के बिना देश का विकास अधूरा है। देश भर के हमारे आदिवासी बेटे-बेटियां खेल-कूद, कला, और टेक्नॉलॉजी सहित अनेक क्षेत्रों में अपने परिश्रम और प्रतिभा के बल पर देश का गौरव बढ़ा रहे हैं।
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