शूरवीर वेब सीरीज रिव्यू – , मुंबईMovie Reviewशूरवीरकलाकारअरमान रल्हन , रेजिना कसांड्रा , आदिल खान , अंजली बारोट , मनीष चौधरी , आरिफ जकारिया और मकरंद देशपांडेलेखकबिजेश जयराजन , सागर पांड्या और निसर्ग मेहतानिर्देशककनिष्क वर्मानिर्माताजगरनॉट प्रोडक्शंसओटीटी:डिज्नी प्लस हॉटस्टाररेटिंग 1.5/5
डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज हुई नई वेब सीरीज उस सरकारी योजना के बारे में है जिसमें थल सेना, नौसेना और वायु सेना के सर्वोत्तम वीरों को एक साथ लाकर एक ऐसा दस्ता बनाया जाना है जो आतंकवादी हमलों का मुंहतोड़ जवाब दे सके। फौज की पृष्ठभूमि पर बनने वाले धारावाहिकों ‘फौजी’ या ‘सी हॉक्स’ से आगे की कहानी कहने का ये बीड़ा उठाया है एक ऐसे प्रोडक्शन हाउस ने जिसके मुखिया के पास जिस एक फिल्म को बनाने का अनुभव है उसकी पृष्ठभूमि भी फौज ही थी। वेब सीरीज ‘शूरवीर’ विचार के धरातल पर एक बढ़िया वेब सीरीज हो सकती थी लेकिन ये विचार मनोरंजन के आसमान में ठीक से उड़ नहीं पाता है क्योंकि ये एक सरकारी विचार ऐसे मौके पर सामने आता है जब एक आतंकी हमले में निर्दोष लोगों की जानें जा चुकी हैं।

शूरवीर वेब सीरीज रिव्यू – , मुंबईहकीकत से कल्पना का संगम
प्रधानमंत्री चंद्रशेखर प्रताप के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एक ऐसी योजना का प्रस्ताव लेकर आते हैं जिसे फौज से रिटायर हो रहा एक सीनियर अफसर बरसों पहले तैयार कर चुका है और जिसे तब की सरकारों ने तवज्जो नहीं दी। लालफीताशाही और निर्देशों की सीढ़ी में उलझने की बजाय सीधे एक व्यक्ति के निर्देश पर कहीं भी किसी भी, समय हमला कर देने वाली इस टुकड़ी को नाम मिला है, ‘हॉक्स’। सेना के तीनों अंगों से जाबांज तलाशे जाते हैं। सबको इकट्ठा किया जाता है और सबकी ट्रेनिंग एक साथ शुरू होती है। पहला एपीसोड पूरा इस बात में निकल जाता है किसने कितनी वीरता अतीत में दिखाई। ये दिखाया नहीं जाता बल्कि दर्शकों को बताया जाता है किरदारों की आपसी बातचीत के बहाने। कहानी इसके बाद ट्रेनिंग पर आती है। समझ आता है कि यहां भी अहं की लड़ाइयां होनी है। छांटे गए लोगों के आपसी रिश्तों का भी इम्तिहान होना है, वगैरह वगैरह… !


शूरवीर वेब सीरीज रिव्यू – मुंबईकलाकारों में उत्साह की कमी
सीरीज देखने वालों की उत्सुकता बनी रहे तो इसमें पाकिस्तान वाला एंगल भी डाला गया है। गनीमत ये रही कि सीरीज को सनी देओल टाइप भुजाएं फड़काने वाली सीरीज नहीं बनने दिया गया। सीरीज की सबसे कमजोर कड़ी है इसकी पटकथा। दूसरे नंबर पर है इसकी कास्टिंग अरमान रल्हन, रेजिना कसांड्रा, आदिल खान, अंजली बारोट, अभिषेक साहा और साहिल मेहता जैसे चेहरों के पीछे फौज वाला समर्पण नजर नहीं आता। सुंदर दिखते रहने की कोशिश में ये कलाकार सीरीज का भाव चेहरों पर ला नहीं पाते हैं। कॉकपिट में बैठी मंजू थपलियाल जब मेडे, मेडे चिल्लाती है, तो कहीं से ये लगता नहीं कि वाकई उनका फाइटर क्रैश होने वाला है। सीरीज का थलसेना और वायुसेना पर ही फोकस बनाए रखना और नौसेना के जाबांजों को हाशिये पर कर देना भी इसकी कमजोर कड़ी है।

‘शूरवीर’ रिव्यू – फोटो : सोशल मीडियास्पेशल इफेक्ट्स में भी कमजोर
वेब सीरीज ‘शूरवीर’ तकनीकी तौर से एक औसत से भी कमतर सीरीज है। शेजान शेख का रचा इसका बैकग्राउंड म्यूजिक यूं लगता है कि किसी स्टॉक से निकाल कर यहां चिपका दिया गया है। पूरे समय ये संगीत दर्शकों में उत्तेजना भरने की कोशिश में लगा रहता है लेकिन सिवाय दर्शकों की सीरीज में अरुचि बढ़ाने के ये और कुछ नहीं करता। और, सीरीज की आखिरी कमजोर कड़ी है इसके विजुअल इफेक्ट्स। सीरीज में कैमरा वायुसेना की कुछ हवाई पट्टियों पर घूमता तो है लेकिन जैसे ही इसमें सीजीआई की बारी आती है, सीरीज बनाने वालों की काबिलियत का खुलासा हो जाता है। इसके विजुअल इफेक्ट्स इतने दोयम दर्जे के दिखते हैं कि बीते दशकों के वीडियो गेम्स इससे बेहतर नजर आने लगते हैं।

‘शूरवीर’ रिव्यू – फोटो : social mediaदेखें कि न देखें
डिज्नी प्लस हॉटस्टार ने देसी कहानियों पर हाल के दिनों में अपना फोकस बनाया है और इसके लिए काफी बड़ा बजट भी रखा है लेकिन अगर इस बजट से ‘शूरवीर’ जैसी वेब सीरीज ही बनाई जानी हैं तो ये ओटीटी के नियमित ग्राहकों के साथ ज्यादती है। एक यूनीफाइड कमांड में काम करने वाले दस्ते की कहानी कहती वेब सीरीज ‘शूरवीर’ ना रोमांच के पैमाने पर पास होती है और ना ही मनोरंजन के। इसे स्किप कर देना ही बेहतर है।