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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर
Updated Fri, 02 Oct 2020 12:59 AM IST
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बिकरू कांड की आरोपी खुशी खुद को असुरक्षित महसूस कर रही है, भयभीत है लेकिन उसमें कोई मनोविकार नहीं है। उसकी अपराध को समझने की क्षमता या बुद्धि औसत दर्जे की है। इस बात का खुलासा खुशी की मनोवैज्ञानिक परीक्षण रिपोर्ट से हुआ।
मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र ने परीक्षण रिपोर्ट गुरुवार को माती स्थित किशोर न्यायालय में दाखिल कर दी है। खुशी के अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने बताया कि किशोर न्यायालय द्वारा खुशी को नाबालिग घोषित किए जाने के साथ ही उसके मनोवैज्ञानिक परीक्षण के आदेश भी दिए थे।
28 सितंबर को खुशी को बाराबंकी स्थित नारी निकेतन से कड़ी सुरक्षा में कानपुर लाकर उसका मनोवैज्ञानिक परीक्षण कराया गया था। उन्होंने बताया कि परीक्षण के दौरान यह अध्ययन किया जाता है कि अपराध के समय आरोपी की उस अपराध को समझने की क्षमता कैसी है।
किशोर मामलों में यह रिपोर्ट महत्वपूर्ण होती है। मालूम हो कि विकास दुबे के साथी अमर दुबे की तीन दिन की नवविवाहिता पत्नी खुशी को भी बिकरू कांड में आरोपी बनाया गया है। उसके खिलाफ भी गंभीर धाराओं में चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी गई है। अगली तारीख पर कोर्ट आरोप तय कर सकती है।
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