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मुंबई40 मिनट पहले
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सेबी ने जांच में पाया कि इसमे यस बैंक की गलती है और निवेशकों को गुमराह किया गया। इसी आधार पर सेबी ने पिछले महीने फाइन लगाया और इसे 45 दिनों के अंदर भरने का आदेश यस बैंक को दिया
- सैट ने कहा कि रिस्क फैक्टर पहले से ही बैंक की वेबसाइट पर था
- यस बैंक ने एटी-1 बांड को सुपर एफडी बताकर बेचा था, जहां ज्यादा ब्याज का दावा किया गया था
शेयर बाजार रेगुलेटर सेबी को जबरदस्त झटका लगा है। सेबी के अपीलेट ट्रिब्यूनल सैट ने यस बैंक के जुर्माने पर रोक लगा दी है। सेबी ने पिछले महीने ही यस बैंक पर 25 करोड़ रुपए की फाइन लगाई थी।
4 हफ्ते में जवाब देने का आदेश
सैट ने सेबी को इस पर 4 हफ्ते में जवाब देने को कहा है। दरअसल यस बैंक के टियर 1 (एटी1) बांड में निवेशकों ने आरोप लगाया था कि बैंक ने उन्हें गुमराह किया है। इसकी जांच सेबी कर रही थी। इसी जांच के बाद सेबी ने पिछले महीने बैंक पर जुर्माना लगा दिया था। सेबी ने इसमें बैंक के 3 कर्मचारियों पर भी जुर्माना लगाया था।
31 जुलाई को फाइनल सुनवाई
सैट इस मामले में 31 जुलाई को फाइनल सुनवाई करेगा। इस मामले में यस बैंक को भी अपील करने का मौका दिया गया है। सैट ने कहा कि बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट 1949 के तहत मार्च 2020 में मोरेटोरियम लागू किया गया था। सैट ने कहा कि हमने यह देखा है कि इसमें रिलेशनशिप मैनेजर पर कोई मामला नहीं बुक किया गया है। सैट ने कहा कि शुरुआत में यह पता होना चाहिए कि क्या रिलेशनशिप मैनेजर ने निवेशकों को इस बांड के रिस्क फैक्टर के बारे में बताया था। यह जांच का विषय है। दूसरी ओर प्राइवेट वेल्थ मैनेजमेंट टीम के सदस्य को इसमें आरोपी बनाया गया है जिस पर फाइन लगाया गया है।
रिस्क फैक्टर पहले से वेबसाइट पर था
सैट ने कहा कि यह भी देखा गया है कि रिस्क फैक्टर पहले से ही बैंक की वेबसाइट पर था और यह सभी की जानकारी में था। जानकारी के मुताबिक, यस बैंक ने एटी-1 बांड जारी किया था। इसे एफडी की तर्ज पर सुपर एफडी बताया गया था। साथ ही इसमें ज्यादा रिटर्न देने का वादा किया गया था। इसके बाद निवेशकों ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सेबी ने जांच में पाया कि इसमे बैंक की गलती है और निवेशकों को गुमराह किया गया। इसी आधार पर सेबी ने पिछले महीने फाइन लगाया और इसे 45 दिनों के अंदर भरने का आदेश यस बैंक को दिया।
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